हर गली में खड़ी है मौत,
हर चौराहे पर कर रही है इंतज़ार.
पता नहीं कब आयेंगे जानिब साहब,
वो सर झुकाए बैठी है हर ओर.
चप्पा-चप्पा जुदा नहीं है उससे,
वो मौत है, हर इलाके का वास्ता है अब उससे,
अब क्या आतंक और क्या दहशत,
हर इलाके में गूंजती, हर गूँज है अब उससे.
वो हुक्मरान भी है और पनाहगार भी,
दुनिया की हर आदत, हर इबारत अब है, तो सिर्फ उससे....
Tuesday, 25 May 2010
Friday, 14 May 2010
हर शख्स यहाँ क्यूँ डरता है ?
हर शख्स जब जन्नत नसीब होने की हसरत रखता है,
फिर हर पल मौत की आहट से वो क्यूँ डरता है ?
ज़िन्दगी जीने का दम जब वो खुल कर भरता है,
फिर अपने इसी दम से उसका दम आखिर क्यूँ घुटता है ?
जब पाक साफ़ दामन रखने की आदत वो पालता है,
फिर अपनी इसी आदत से अक्सर वो समझोता क्यूँ कर बैठता है ?
रफाकत और अदावत भरी, दोनों जिंदगियां जब वो जीता है,
तो फिर क्यूँ अपनी इसी पहचान पर गुमनामी का लबादा वो ना चाहते हुए भी ओड लेता है....?
फिर हर पल मौत की आहट से वो क्यूँ डरता है ?
ज़िन्दगी जीने का दम जब वो खुल कर भरता है,
फिर अपने इसी दम से उसका दम आखिर क्यूँ घुटता है ?
जब पाक साफ़ दामन रखने की आदत वो पालता है,
फिर अपनी इसी आदत से अक्सर वो समझोता क्यूँ कर बैठता है ?
रफाकत और अदावत भरी, दोनों जिंदगियां जब वो जीता है,
तो फिर क्यूँ अपनी इसी पहचान पर गुमनामी का लबादा वो ना चाहते हुए भी ओड लेता है....?
दुश्मन निगाहें भी संभल गयी....
चली जब हवाएं इस सर्द मौसम की,
नफरत की सब राहें बिछड़ गयी.
उड़ी जब जुल्फें बरसते बादल की,
इस दिल की सभी रंजिशें भी पिगल गयी.
मोहब्बत के किस्से तो अब तक सुनते आये थे,
लेकिन जब देखा तो यह आहें भी फिसल गयी.
अब क्या सूरत और क्या सीरत,
मोहब्बत के कूचे तले दुश्मन निगाहें भी संभल गयी.
इश्क बला ही शायद ऐसी है,
जिसकी रौशनी से डर कर हर साज़िश भी किनारे से गुज़र गयी...
नफरत की सब राहें बिछड़ गयी.
उड़ी जब जुल्फें बरसते बादल की,
इस दिल की सभी रंजिशें भी पिगल गयी.
मोहब्बत के किस्से तो अब तक सुनते आये थे,
लेकिन जब देखा तो यह आहें भी फिसल गयी.
अब क्या सूरत और क्या सीरत,
मोहब्बत के कूचे तले दुश्मन निगाहें भी संभल गयी.
इश्क बला ही शायद ऐसी है,
जिसकी रौशनी से डर कर हर साज़िश भी किनारे से गुज़र गयी...
Thursday, 13 May 2010
चाँद तो अब दिखता नहीं...
चाँद तो अब दिखता नहीं,
इसलिए सितारों में ही अक्स खूबसूरती का ढूँढ लेते हैं.
काफ़िर तो अब कोई मिलता नहीं,
इसलिए काफिराना ज़िन्दगी को ही अपना बना लेते हैं.
मोहब्बत के चेहरे तो अब बाकी बचे नहीं,
इसलिए अपने बेहूदा चेहरे से ही मोहब्बत फरमा लेते हैं...
इसलिए सितारों में ही अक्स खूबसूरती का ढूँढ लेते हैं.
काफ़िर तो अब कोई मिलता नहीं,
इसलिए काफिराना ज़िन्दगी को ही अपना बना लेते हैं.
मोहब्बत के चेहरे तो अब बाकी बचे नहीं,
इसलिए अपने बेहूदा चेहरे से ही मोहब्बत फरमा लेते हैं...
Tuesday, 11 May 2010
ये दिल बेकरार हो उठा है, अपने सवालों में कहीं खो बैठा है...
दिल इक बार फिर बेकरार हो उठा है
उनके इंतज़ार की हर घड़ी पर जिरह किये बैठा है,
बस इक बार हो जाये मुलाकात कहीं,
बड़ी शिद्दत से उनकी राहों में नज़रें झुकाए बैठा है,
दीदार के इन्ही पहलु हज़ार में,
कलम से चला तो उनकी पलकों को अपना बनाये बैठा है,
कमबख्त अपनी जिद्द पर बेवक्त अड़ा है,
बेवजह सपनो के सिरहानो पर घर बनाये बैठा है,
कईं बार समझाया उस नादान को, पर वो है की,
अपनी इसी चाहत को अपना पागलपन बनाये बैठा है,
पता नहीं अब बेगार का, इस अंधे गुमार का क्या होगा,
जो उसकी चालाकी में अपना अदना सा इश्क देख बैठा है,
बेक़रार हुआ ये दिल शायद इस बार तो रुकेगा नहीं,
या तो बोसीदा हुआ दम भरता रहेगा कहीं,
या फिर कुर्बानी के दरखत से लटक जायेगा कहीं,
पता नहीं क्यूँ बेक़रार हो बैठा है,
बेउमीद अपने आप से झगड़ बैठा है,
ये दिल पता नहीं क्यूँ बेकरार हो उठा है,
अपने सवालों में कहीं खो बैठा है...
उनके इंतज़ार की हर घड़ी पर जिरह किये बैठा है,
बस इक बार हो जाये मुलाकात कहीं,
बड़ी शिद्दत से उनकी राहों में नज़रें झुकाए बैठा है,
दीदार के इन्ही पहलु हज़ार में,
कलम से चला तो उनकी पलकों को अपना बनाये बैठा है,
कमबख्त अपनी जिद्द पर बेवक्त अड़ा है,
बेवजह सपनो के सिरहानो पर घर बनाये बैठा है,
कईं बार समझाया उस नादान को, पर वो है की,
अपनी इसी चाहत को अपना पागलपन बनाये बैठा है,
पता नहीं अब बेगार का, इस अंधे गुमार का क्या होगा,
जो उसकी चालाकी में अपना अदना सा इश्क देख बैठा है,
बेक़रार हुआ ये दिल शायद इस बार तो रुकेगा नहीं,
या तो बोसीदा हुआ दम भरता रहेगा कहीं,
या फिर कुर्बानी के दरखत से लटक जायेगा कहीं,
पता नहीं क्यूँ बेक़रार हो बैठा है,
बेउमीद अपने आप से झगड़ बैठा है,
ये दिल पता नहीं क्यूँ बेकरार हो उठा है,
अपने सवालों में कहीं खो बैठा है...
मोहब्बत...बस केवल मोहब्बत...
खूबसूरती का लिबास और लबादा, दोनों है मोहब्बत,
हथेलियों पर रखा ईमान है मोहब्बत.
अँधेरे से रौशनी की ओर चलता ख्याल है मोहब्बत,
इक दिल और दूसरे दिल के बीच में धड़कती, इक धड़कन है मोहब्बत.
जन्मों-जन्मों की इक अधूरी प्यास है मोहब्बत,
बिना मिले जो समझ आ जाये...शायद वोही बाला है, ये अजब मोहब्बत......
हथेलियों पर रखा ईमान है मोहब्बत.
अँधेरे से रौशनी की ओर चलता ख्याल है मोहब्बत,
इक दिल और दूसरे दिल के बीच में धड़कती, इक धड़कन है मोहब्बत.
जन्मों-जन्मों की इक अधूरी प्यास है मोहब्बत,
बिना मिले जो समझ आ जाये...शायद वोही बाला है, ये अजब मोहब्बत......
Sunday, 9 May 2010
Happy Mother's day....
ऊँगलियाँ पकड़ कर उसकी...चलना सीखा हमने,
हर चाल में उसकी संतुलन बेशुमार है.
सुन-सुन कर उसको...बोलना सीखा हमने,
हर आवाज़ में उसकी जादू बेक़ाबू है.
इज्ज़त बड़ों की करना...उससे सीखा हमने,
आदत में उसकी तहज़ीब की बेकरारी है.
रिश्तों की पक्की डोर को...उससे समझा हमने,
बन्धनों में उसके इक अनमोल सच्चाई है.
ज़िन्दगी की इस अजब धारा को भी...उसकी नज़रों से ही देखा हमने ,
क़दमों में ही उसके ज़िन्दगी हमारी सारी है....
हर चाल में उसकी संतुलन बेशुमार है.
सुन-सुन कर उसको...बोलना सीखा हमने,
हर आवाज़ में उसकी जादू बेक़ाबू है.
इज्ज़त बड़ों की करना...उससे सीखा हमने,
आदत में उसकी तहज़ीब की बेकरारी है.
रिश्तों की पक्की डोर को...उससे समझा हमने,
बन्धनों में उसके इक अनमोल सच्चाई है.
ज़िन्दगी की इस अजब धारा को भी...उसकी नज़रों से ही देखा हमने ,
क़दमों में ही उसके ज़िन्दगी हमारी सारी है....
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