Friday, 3 December 2010

रोएंगी आज ये आँखें...

रोएंगी आज ये आँखें, समंदर की तरह,
तड़पायेंगी उसकी बातें, गुज़रे वक़्त की तरह.

इक मुद्दत बाद संजोया था, जो इश्क हमने,
भिखरेगा वो आज, खून के लावारिस कतरों की तरह.

दिल तो कब का निकल चूका था, इस जिस्म से,
अफ़सोस आज निकलेगी जान, कब्र पर मुरझाए फूलों की तरह...

2 comments:

Unknown said...

mst bro love u mst likha hai

Unknown said...

mst likha hai bhai love you.........