Friday, 3 December 2010

इश्क, मोहब्बत और प्यार...

इश्क, मोहब्बत और प्यार,
धोखा, फ़रेब और मेरा यार.

घबराती निगाहें और डरावने ख़्वाब,
कल की फ़िक्र और वही स्याह किताब.

रोज़ का पैगाम और रात के जाम,
इक तस्वीर और नाजाने कितनों के नाम.

No comments: