Saturday, 3 August 2013

त्रासदी

पहाड़ की परछाई में,
मौत का मंज़र है ।

ग़म की गहराई में,
ख़ौफ़ का खंजर है ।

शॉल की शक्ल में,
काले रंग का कफ़न है ।

मन्नत मांगने वाला,
मंदिर में ही दफ़न है ।

1 comment:

Unknown said...

waoo well written post regarding "त्रासदी"

Thanks,

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